Avoid Competitiveness While Following Guru's Instructions A Message of Self-Improvement
Avoid Competitiveness While Following Guru's Instructions A Message of Self-Improvement | गुरुकार्य करते समय स्पर्धा से बचें: आत्म-सुधार का संदेश When you follow the instructions of your guru, do not compare yourself to others. Comparing yourself to others creates a sense of deficiency in both yourself and others. When you compare, you strive to surpass others. But if you want to leave others behind, you have to let go of your bad habits, pride, and addictions. To improve yourself, look at your personality and try to improve it. This is an important message for everyone during the festival. .
"गुरुकार्य करते समय स्पर्धा मत करो। क्योंकि स्पर्धा करते हैं न, तो स्पर्धा करना ही अपने आप में एक-दूसरे को नीचा दिखाने वाली बात होती है न ! क्योंकि जब स्पर्धा करते है यानी किसीसे आगे निकलते हैं, यानी आप किसीको पीछे छोड़ना चाहते हैं। पीछे छोड़ना है तो देह को छोड़ो, पीछे छोड़ना है तो अहंकार को छोड़ो, पीछे छोड़ना है तो अपने व्यसनों को छोड़ो, छोड़ना ही है तो अपनी बुरी आदतों को छोड़ो। बहुत कुछ है पीछे छोड़ने के लिए। कहाँ आप किसी ओर के पीछे पड़े हो, अपने-आपको देखो और उसी में जितनी सुधारणा हो सकती है, पहले उस सुधारणा को देखो, उस गुंजाईश को देखो कि हम अपने आप में कहाँ सुधारणा कर सकते हैं।" - परम वंदनीय गुरुमाँ - चैतन्य महोत्सव २०१
Avoid Competitiveness While Following Guru's Instructions A Message of Self-Improvement | गुरुकार्य करते समय स्पर्धा से बचें: आत्म-सुधार का संदेश When you follow the instructions of your guru, do not compare yourself to others. Comparing yourself to others creates a sense of deficiency in both yourself and others. When you compare, you strive to surpass others. But if you want to leave others behind, you have to let go of your bad habits, pride, and addictions. To improve yourself, look at your personality and try to improve it. This is an important message for everyone during the festival. .
"गुरुकार्य करते समय स्पर्धा मत करो। क्योंकि स्पर्धा करते हैं न, तो स्पर्धा करना ही अपने आप में एक-दूसरे को नीचा दिखाने वाली बात होती है न ! क्योंकि जब स्पर्धा करते है यानी किसीसे आगे निकलते हैं, यानी आप किसीको पीछे छोड़ना चाहते हैं। पीछे छोड़ना है तो देह को छोड़ो, पीछे छोड़ना है तो अहंकार को छोड़ो, पीछे छोड़ना है तो अपने व्यसनों को छोड़ो, छोड़ना ही है तो अपनी बुरी आदतों को छोड़ो। बहुत कुछ है पीछे छोड़ने के लिए। कहाँ आप किसी ओर के पीछे पड़े हो, अपने-आपको देखो और उसी में जितनी सुधारणा हो सकती है, पहले उस सुधारणा को देखो, उस गुंजाईश को देखो कि हम अपने आप में कहाँ सुधारणा कर सकते हैं।" - परम वंदनीय गुरुमाँ - चैतन्य महोत्सव २०१