Jai Baba Swami — Divine

The Most Powerful Way to Lead the Soul Towards Liberation

Posted by Biswajit Mitra on

The Most Powerful Way to Lead the Soul Towards Liberation | आत्मा को मुक्ति की ओर ले जाने का सबसे प्रभावशाली तरीका  ***हिंदी***आत्मा को इस शरीर की बाधा को तोड़ना पड़ता है , उससे मुक्त होना होता है। और यह तभी संभव है , जब आत्मा को पवित्र आत्माओं की समुहिलता प्राप्त हो।हिमालय का समर्पण योग ❤️🙏***ENGLISH***The soul has to break free from the limitations of this body in order to be liberated. And this is only possible when the soul attains communion with holy souls.Yogic surrender to the Himalayas. ❤️🙏

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GURU s POWERS: Fulfilling Every Need, Attending to Seekers and Devotees

Posted by Biswajit Mitra on

"Guru's Powers: Fulfilling Every Need, Attending to Seekers and Devotees" | "गुरुशक्तियाँ: हर आवश्यकता को पूर्ण करना, साधकों और भक्तों की देखभाल"***हिंदी*** "जिस प्रकार मैं इस मार्ग पर आनेवाले साधकों का ध्यान रख रहा हूँ, ठीक वैसा ही गुरुशक्तियाँ मेरा भी ध्यान रखती हैं और इसीलिए मेरी आवश्यकता मुझे मालूम भी नहीं होती लेकिन उन्हें मालूम होती हैं और वे आवश्यकता के पूर्व ही आवश्यकता को पूर्ण कर देती हैं। इसीलिए मुझे जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार की कमी अनुभव ही नहीं होती है क्योंकि गुरुशक्तियाँ सदैव मेरी छोटी-छोटी आवश्यकताओं का भी ध्यान रखती हैं।" - परम पूज्य...

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WHY IS LOVE SO SCARCE IN OUR LIVES The Endless Quest for Love and Its Abundance Explained

Posted by Biswajit Mitra on

Why is Love so Scarce in Our Lives? The Endless Quest for Love and Its Abundance Explained - A Reflection by Satguru | प्रेम की इतनी कमी क्यों है? जीवन में प्रेम के लिए अनंत खोज का सफर - सतगुरु के विचारों का परिचय*** हिंदी *** आप मुझे प्रेम करते हैं न ? हमारे जीवन में प्रेम की इतनी कमी क्यों है कि हम यही पूछते हुए जीते हैं और यही पूछते पूछते मर जाते हैं। हर व्यक्ति हज़ार ढंगों से यही पूछ रहा है कि आप मुझसे प्रेम करते हैं न ? प्रेम की ऐसी प्यास और इतनी अधिक...

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Love The Gift of Giving

Posted by Ashish Kumar Sarkar on

Love The Gift of Giving | प्रेम: देने की अनमोल भेंट॥प्रेममय जयते॥ प्रेम पाने की नहीं, देने की चीज है; प्रेम तो ईश्वर का वह प्रसाद है जो बाँटना है। प्रेम, निर्व्याज प्रेम करो, किसी स्वार्थ से नहीं, किसी भी अपेक्षा से नहीं। हिमलयिन संत श्री शिवकृपानंद स्वामी ॥वसुधैव कुटुंबकम्॥ Love is not something to be attained but to be given. It is a divine blessing from the higher power that is meant to be shared with others. Love unconditionally, without any expectations or selfish motives

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A Voice Rising from the Heights of the Water

Posted by Ashish Kumar Sarkar on

A Voice Rising from the Heights of the Water | जल की उंचाइयों से उठता हुआ एक आवाज अगर हम किसी बड़े झरने के करीब जाते हैं तो वह जहाँ से गिरता है, उसकी ऊंचाई और वह जहां गिरता है, वह स्थान, दोनों मिलकर एक आवाज का निर्माण करते हैं। और उस आवाज से आसपास का सारा वातावरण उत्साह और प्रसन्नता से भर जाता है। उसके पास जाने से ही निर्भयता की स्थिति प्राप्त हो जाती है। - श्री शिवकृपानंद स्वामीजी हिमालय का समर्पण योग - भाग  ४(१७७)

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